छोरा गंगा किनारे वाला

परम पूज्य गंगा किनारे वाले बड़े भैया,
प्रणाम,
आज आपको खत लिखने की सोची तो समाचार मिला कि जल्द ही आप सबसे बड़े पद पर भी हो सकते हैं तो सबसे पहले हमार तरफ से और हमार पूरे गांव की तरफ से आपको बहुत बहुत बधाई!

कल रात फिर टी वी पर तोहार इंटरब्यूह देखा। का बताई, गांव मा तो बिजली बहुत ही कम आवत बा हम गये रहे साथ के कस्बा मा। ऊ स्टेशन के पास दुकान पर टीवी चलत रहा तो ऊ पर ही देखे। का शान से बोलत हो भैया। इ सब बाबू जी के संस्कारन का परताप बा। हम इंतजार कर रहे हैं तोहार फिलम ‘एकलब्य’ का। इंहा तो देर से आई। हम तो सहर जा के देखी।

ससुर सहर के मल्टीप्लेक्स मा टिकट बहुत ही मंहगा बा, पर कौनो चिंता नाही, अपने बड़े भैया की फिलम बा। हम जरूर देखी। पर का बताई बड़े भैया, ई मल्टीप्लेक्स वाले जितने में एक लीटर पानी देत हैं, उत्ते में खेत के पम्प की खातिर दुई लीटर डीजल मिल जाई।

और इंटरब्यूह के बीच बीच मा जो तुम आ आकर हमार आंखन में देख कर बोले रहे कि ‘पुनरजन्म हो यदि मेरा, तो फिर हो गंगा के तट पर’ तो भैया हमार सीना फूल जात है। तोहार इसी अदा पर तो पूरा यूपी फिदा हो जात है।

मगर का बताई बड़े भैया, ऊ हमार दोस्त है ना दिल्ली में रहता है, ऊ हमका आईना दिखा के बोला कि इ जो तुम बोलत हो ना ‘पुनरजन्म हो यदि मेरा….’ इ तोरे दिल की बात नाही। इ तो तुम बिज्ञापन किये हो और इ दुई बोल बोलन के वास्ते पैसे लिये हो। हम तो कह दिये कि हमार बड़े भैया पैसन की खातिर हमार भावना के साथ कबहु खिलवाड़ ना करी। तो बोले कि जदि पैसे नहीं लिये तो भी ई मा तोहार राजनैतिक दोस्तन का फायदा होई। तुमही बताओ बड़े भैया ई आईना वाला झूठ बोल रहे हैं ना अपना बिलाग चलाये कि खातिर? हमार भावनाओं से तो तुम कभहु खिलवाड़ ना करी?

पर एक बात बा बड़े भैया। ई जो तुम नया बिज्ञापन करे हो कि हमार प्रदेस मा कानून ब्यबस्ता सब चकाचक बा। ई देख कर हमार माथा भी ठनक गया। हमें लगत है कि कोइ तुमका बरगलाय दिया है। लगता है कि तुम टाईम निकाल कर इसे कम्फर्म नहीं कर पाये। ठीक है भईया, इतनी फिलमें, कभी एकलब्य तो कभी निशब्द। फिर इतने इंटरब्यूह । फिर घर मा शादी। एक जान हजार काम। फिर जो नयी गाड़ी मिली ऊका कागज पत्तर। सब काम करन मा कितना टाईम लगत है। ससुर लम्बी लाईन लगत अथारिटी मा गाड़ी के कागजन की खातिर।

पर भैया हम से पूछ लेते प्रदेश की कानून ब्यबस्था के बारे में। हम तो एक ही फुनवा की दूरी पर थे(हम जीतू भाई का बिलाग भी पढ़त हैं)। और अब तो हम मुबाईल भी ले लिये हैं। अगली बार कभी फोन करके पूरे प्रदेश की ना सही हमार और हमार गांव की खबर ले लेना। हमार दिल खुश हो जाई। अब खत को खतम करते हैं।

भौजी को परणाम
रामखिलावन
गंगा किनारे के एक गांव से

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Comments

9 responses to “छोरा गंगा किनारे वाला”

  1. बहुत खुब. अब बडे भाईया तो आप पर विशेष कृपा बरसायेंगे, जियो जगदीश भाई. सही खींचा है. :)

  2. वाह खूब चिट्ठी लिखी बड़े भैया को, अब इसको उन्हें भेजने का भी बंदोबस्त करिए।

    काश उपरोक्त बात उन्होंने सचमुच दिल से कही होती।

  3. rachanabajaj Avatar
    rachanabajaj

    वाह् आइना वाले भैया! का खूब लिखे हो!

  4. वाह ! तोहार चिट्ठी पढ़ के बड़ा मजा आइल। तनी बड़े भैया के यू.पी. में भ्रष्टाचार कम करे के वास्ते अन्दोलन-ओन्दोलन करे खातिर भी लिखि द!

  5. अनूप शुक्ला Avatar
    अनूप शुक्ला

    ये बड़के भैया अभी न जाने क्या-क्या करेंगे!

  6. प्रत्यक्षा Avatar
    प्रत्यक्षा

    चिट्ठी तो चकाचक है ।

  7. are hum kaise likhen ise bhaiya

  8. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    आप सभी का धन्यवा्द

    @deeps
    आप इस लिंक पर जाय्रें
    http://akshargram.com/sarvagya/index.php/How_to_Type_in_Hindi

  9. क्या खोजते हुए आते हैं ’आईना’ पर लोग « आईना Avatar
    क्या खोजते हुए आते हैं ’आईना’ पर लोग « आईना

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