menda yaar mila de

आइये समझें गुलजार को : मैंडा यार मिला दे….

आ देख मेरी पेशानी को तक़दीर के हरफे लिक्खे हैं
पैरों के निशाँ जब देखे जहाँ सौ बार झुकाया सर को वहाँ
(पेशानी =माथा, तकदीर = किस्मत, हरफे = वाक्य)
गुलजार साहब के ये बोल बहुत ही अनोखे हैं। फिल्मी गीतों के पूरे इतिहास में ऐसे खूबसूरत बोल कहीं नहीं मिलते। मैं तो यहां तक कहुंगा कि इन दो लाइनों मे गुलजार साहब गालिब की बराबरी करते नजर आते हैं। शब्दों के अर्थ समझ में आ भी जायें तो भी बात का मर्म बहुत बाद में समझ आता है।

साथिया फिल्म में ए आर रहमान का गाया यह गीत मुझे इतना पसंद है कि एक ही दिन में लगातार इस गीत को अगर मैं पचासों बार भी सुन लूं तो भी जी नहीं भरता। आसानी से चाहे गीत समझ में न आये पर रहमान साहब ने जिस शिद्दत से इसे गाया है, यह गीत सुनने वाले के दिल में उतर जाता है। मैंने पूरा इंटेरनेट छान मारा मगर इसके सही बोल न तो देवनागरी में मिले और न ही रोमन मैं हालांकी गलत बोल कई जगह मिलते हैं। सूफी अंदाज में लिखे और गाये गये इस गीत में जो पंजाबी के शब्द प्रयोग में लाये गये हैं उस तरह की पंजाबी पाकिस्तान में ज्यादा बोली जाती है। आइये थोड़ा इस गीत को समझने की कोशिश करते हैं।

menda yaar mila de

बंजर है सब बंजर है

बंजर है सब बंजर है

हम ढूँढने जब फ़िरदौस चले (फ़िरदौस =स्वर्ग)

तेरी खोज तलाश में देख पिया हम कितने काले कोस चले

बंजर है सब बंजर है

मैंडा यार मिला दे साईयाँ (मैंडा = मेरा)

 इक बार मिला दे साईयाँ

 एक बार मिला दे साईयाँ

 मैंने पोटा पोटा फ़लक़ छाना, (पोटा =अंगुलियों के पोर, फ़लक़= आकाश)

 मैने टोटे-टोटे तारे चुने (टोटे-टोटे = टुकड़े टुकड़े)

 मैंडा यार मिला दे साईयाँ

 इक बार मिला दे साईयाँ इक बार मिला दे साईयाँ

 तारों की चमक ये सुबह तलक़ लगती ही नहीं पल भर को पलक,

 साईयाँ साईयाँ साईयाँ

 मैंने पोटा पोटा फ़लक़ छाना,

 मैने टोटे-टोटे तारे चुने

 सिर्फ़ इक तेरी आहट के लिये

 कंकड़ पत्थर बुत सारे सुने

 हुण मेणे ते रुस्वाइयाँ (हुण = अब, मेणे = उलाहने,रुस्वाइयाँ = बदनामियां )

 मैंडा यार मिला दे साईयाँ

 इक बार मिला दे साईयाँ

 इक बार मिला दे साईयाँ

 मैंडा यार मिला दे साईयाँ

 आ देख मेरी पेशानी को तक़दीर के हरफ़े लिक्खे हैं

 पैरों के निशाँ जब देखे जहाँ सौ बार झुकाया सर को वहाँ

 यार मिला दे साईयाँ

 आ देख मेरी पेशानी को तक़दीर के हरफ़े लिक्खे हैं

 मैं कितनी बार पुकारूँ तुझे तेरे नाम के सफहे लिक्खे हैं (सफहे = पन्ने)

 तेरा साया कभी तो बोलेगा तेरा साया कभी तो बोलेगा मैं सुनता रहा परछाइयाँ

 मैंडा यार मिला दे साईयाँ

 इक बार मिला दे साईयाँ

 इक बार मिला दे साईयाँ

 मैंडा यार मिला दे साईयाँ

 आप इस गीत को यहां सुन सकते हैं।

 गुलजार साहब का ‘झूम बराबर झूम’ और ‘टिकट टू हॉलिवूड


Comments

8 responses to “आइये समझें गुलजार को : मैंडा यार मिला दे….”

  1. जगदीश जी, हम तो गुलजार साहब के पुराने आशिक हैं और आपकी पोस्ट ने उनकी याद दिला दी…। उनके लेखन में, शब्दों और विचार का सौन्दर्य देखते बनता है, और आप बस गुढ खा कर गूंगे रह जाते हैं

  2. जोगलिखी संजय पटेल की Avatar
    जोगलिखी संजय पटेल की

    गुलज़ार साहब के शब्द एक सुरभि बन कर अपने मुरीदों को यक ब यक अपनी ओर खींच लेते हैं..हमारी मुहब्बतें तो उनके साथ रहती ही हैं ..लगता है वे भी उसी शिद्दत से हम सबको याद करते हैं तभी तो हम सबके लिये कालजयी काव्य रचते हैं .उनका शब्द के फ़लक पर होना इस बात का इत्मीनान देता है कि अब भी ऐसा कुछ बाक़ी है जो इंसान को ज़िन्दा रहने का आसरा दे रहा है.गुलज़ार अच्छाइयों की शिनाख़्त हैं.आपने उल्लेखित गीत में पंजाबी लब्ज़ों का तरजुमा देकर शायरी का आनन्द बढा़ दिया.जिस तरह दिल ढूंढता है फ़िर वही (मौसम/भूपेंद्र/मदनमोहन)ग़ालिब की ग़ज़ल से अनुप्राणित है वैसे ही मैंडा यार मिला दे सांइया भी मूलत: सूफ़ियाना तबियत की बंदिश है.

  3. अनुराग श्रीवास्तव Avatar
    अनुराग श्रीवास्तव

    मैंने पोटा पोटा फ़लक़ छाना

    गुलज़ार साहब की सबसे बड़ी ख़ासियत शायद ये है कि वो कठिन शब्दों के ताने बाने से नहीं बल्कि सीधी साधी बातों से अपनी कविताओं को सजाते हैं. बोलचाल की भाषा के शब्द इस्तेमाल करते हैं. यही देखिये – ‘बेसुवादी’ रतियाँ, या ‘फ़रवरी’ की ठंड, या ‘निम्मी निम्मी’ ठंड – जितने सरल शब्द हैं उतनी ही सहजत से दिल को छू लेते हैं.

    गुलज़ार की कविताओं के बारे में सिर्फ़ यही कहा जा सकता है – सिर्फ़ अहसास हैं ये रूह से महसूस करो..!

  4. गुलज़ार साहब की हर रचना अनमोल है।

  5. अनूप शुक्ल Avatar
    अनूप शुक्ल

    अच्छा लगा यह लेख ।

  6. sajeev Avatar
    sajeev

    वाह मेरा भी यह बेहद पसंदीदा गीत है वैसे एक गीत और है इसी फिल्म का ” ए उदी उदी उदी ” हो सके तो उसका भी ऐसा ही विवरण दे

  7. अनुराग श्रीवास्तव Avatar
    अनुराग श्रीवास्तव

    दो चार दिन पहले “ख़ामोशी” देखी. इसलिये नहीं कि मुझे ये फ़िल्म देखनी थी बल्कि इसलिये क्योंकि मुझे इस फ़िल्म का एक गाना बहुत पसंद है – हमने देखी है इन आँखों की महकती ख़ुश्बू”.

    मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ कि ये गाना आपको भी बहुत पसंद होगा.

    इस गाने को ‘महसूस’ को कर सकता हूँ, लेकिन जब भी समझने की कोशिश करता हूँ, शब्दों के जाल में फँस जाता हूँ.

    “आँखों की खुश्बू”, “हाथ छूके इसे” – आँखों की खुश्बू होना, खुश्बू को देखना, खुश्बू को छूना…

    सिर्फ़ महसूस ही कर सकते हैं ना!!

    कभी लिखिये इस गाने पर.

  8. aap ka khayal hame kafi pasand aaya jagdish ji thanx

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