ये तलवार वाले… नाक के रखवाले

केमिकल लोचा- संदर्भ :- गांधीगिरी. मित्रो, यहाँ प्रस्तुत है मेरी लिखी एक कविता ये तलवार वाले… नाक के रखवाले. यूं तो मैं कोई कवि नहीं हूँ मगर कभी कभी यूं ही अपने विचार इस तरह से प्रगट कर देता हूँ. आशा है मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा.
कुछ दिन से ढंग से मैं सो नहीं पाया
रात बदली करवट तो बापू को पाया
मैं बोला, बापू कैसे मेरा ख्याल आया?
कुछ दिन से हूं आहत, यह मर्म कैसे पाया?
पलट के बोले बापू, बस यूं ही चला आया
चेहरा देखा बापू का तो मैं कुछ घबराया

ये चोट कैसी बापू? बैचैन हो मैं अकुलाया
कुछ नहीं है बेटा, कह बापू ने बहलाया
मेरी जिद के आगे अधिक न टिक पाया
बापू बोले,
”देश के कुछ लोग हैं जो रात दिन सताते हैं
मक्खियों की तरह मेरी नाक पर भिनभिनाते हैं ”
मैं बेचैन हो गया, रहा न खुद पे काबू
अंग्रेजों को हराने वाले, मक्खियों से चोटिल बापू ?
बापू बोले,
”अरे नहीं इन मक्खियों के आगे कौन हारा है ,
मेरा हाल तो मेरे स्वयंभू रक्षकों ने बिगाड़ा है
जब भी कोई मक्खी मेरी नाक पर बैठी देख लेते हैं
तो मेरी अहिंसक नीतियों की रक्षा के लिये
झट से तलवार निकाल लेते हैं
झट से तलवार निकाल लेते हैं.”


Comments

10 responses to “ये तलवार वाले… नाक के रखवाले”

  1. What a beautifiul comment on the present scenario..
    यह तो बहुत बड़ा व्यंग है समाज व उसके संस्कारों पर जर-जर होकर गिर रही है हमारी शांति और बड़चढ़कर बोल रही है हैवानियत ।सुंदर कृति…॥

  2. समीर लाल Avatar
    समीर लाल

    क्या बात है, बहुत खुब, जगदीश भाई. कितनी गहरी बात चंद शब्दों में इतनी सहजता और सुंदरता से कह गये, मेरी बधाई स्विकारें.

  3. सृजन शिल्पी Avatar
    सृजन शिल्पी

    वाह भई, जगदीश जी, क्या खूब कही है आपने।

  4. सागर चन्द नाहर Avatar
    सागर चन्द नाहर

    बहुत कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने :)

  5. Pratik Pandey Avatar
    Pratik Pandey

    कमाल की रचना है… गांधीजी के नाम पर होने वाली विसंगतियों को बखूबी उजागर करती है यह रचना।

  6. जब भी कोई मक्खी मेरी नाक पर बैठी देख लेते हैं
    तो मेरी अहिंसक नीतियों की रक्षा के लिये
    झट से तलवार निकाल लेते हैं

    बिहारी के दोहे जैसी बात लिख दी आपने, जबरदस्त

  7. संजय बेंगाणी Avatar
    संजय बेंगाणी

    वाह! क्या बात कह दी अपने.

  8. ‘गागर में सागर’ भरना इसी को कहते हैं। बधाई !

  9. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    तारीफ के लिये आप सभी का धन्यवाद।

  10. renu ahuja Avatar
    renu ahuja

    जगदीश जी बहुत सुंदर लिखा है !

    मेरी अहिंसक नीतियों की रक्षा के लिए वो झट से तलवार निकाल लेते है,..
    धन्य हैं कलम के सिपाही जो समाज को शब्दों की एसी धार देते हैं

    -रेणू आहूजा.

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