Category: देश

  • हमारा भारत

    हमारा भारत

    हमारा भारत 15 वर्षों के आर्थिक सुधार- कितनों को साफ पानी हमारा भारत : यह एक विडंबना ही है कि पिछले 15 वर्षों में जहां हमारी अर्थव्यवस्था ने नयी नयी ऊंचाईयों को छुआ है वहीं इस अवधि में कृषि क्षेत्र लु्ड़कता चला गया। यह क्षेत्र इतनी बुरी तरह पिछड़ा कि इस वर्ष हमें रिकार्ड 60…

  • पुनर्जन्म हो यदि मेरा !

    दिल्ली से सटे नॉएडा के निठारी में एक दिल को दहला देने वाला काण्ड हो गया. आये दिन यहाँ बच्चे गायब होने की खबर आती. बाद में बच्चों के विभात्स्व तरीके से मारे जाने के किस्से सुनाने में आये. आपने अमिताभ जी को उत्तरप्रदेश के लिये एक विज्ञापन में बोलते हुए देखा होगा। यदि यही…

  • विराट कोहली की कहानी

    विराट कोहली की कहानी

    Story of Virat Kohli विराट कोहली की कहानी, कैसे बना विराट कोहली इतना बड़ा क्रिकेटर जानिये पूरी कहानी विराट कोहली के बारे में.

  • कुछ और पुरानी कतरनें

    जैसा कि पिछली पोस्ट में आप सब ने इच्छा जताई है कुछ और पुरानी कतरनें यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। इससे यह कतरने यहां सुरक्षित भी हो जायेंगी। सब कुछ तब के राजनैतिक माहौल पर लिखा गया था इसलिये लेखों के संदर्भ भी बताने की कोशिश की है। निम्न लेख जनसत्ता में 2 जून 1988…

  • मेरा मन धक से रह जाता है…….

    हाथ मूंह धो कर खाने की टेबल पर पहुंचा तो ह्ल्के से दिल धक से रह गया। आज फिर भिंडी की सब्जी बनी थी। बिल्कुल जैसे उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हों और वंदे मातरम जैसा मुद्दा राजनैतिक दलों को मिल जाये तो दिल थोड़ा धक से रह जाता है। मैं जानता था कि…

  • साठ साल के बूढ़े या साठ साल के जवान

    “तो क्या तुम अपनी मां किसी दूसरे को दे दोगे?” मेरी आंखें गुस्से से लाल हो गईं और चेहरा तमतमाने लगा। उन्नीस साल का था मैं। नयी नयी नौकरी और दूसरा तीसरा दिन। कायदे से तो मुझे चुपचाप रहना चाहिये था मगर अगले ने बात ही कुछ ऎसी की कि मुझे बहुत गुस्सा आ गया।…

  • पाकिस्तान के हीरो

    पाकिस्तान के हीरो

    पाकिस्तान के हीरो कौन हैं और उनका भारत के हीरो क्या कोई मुकाबला भी है या नहीं? पढ़िए  आईना हिंदी ब्लॉग Aaina Hindi Blog पर हिंदी में. यश साहब ने अपनी फ़िल्म वीरजारा में एक गीत रखा साहब “जैसा देश है तेरा वैसा देश है मेरा” अब अपना भारत जैसा भी है पाकिस्तान जैसा तो…

  • गरीब के सपने और सरकार की तोता रटंत

    दिल्ली में ऑटो पर बैठना हो तो यह मान कर चलना पड़ेगा कि अधिकतर ये लोग फालतू पैसे मांगते हैं और कई बार बद्तमीजी भी करते हैं। मगर उस दिन जो अनुभव मेरे साथ हुआ आपको भी बताता हूं। दोपहर के समय प्रगती मैदान से निकला तो ऑटो ढूंढ रहा था बाराखंबा रोड जाने के…

  • बालमन पर इमरजेंसी का डर

    आज नीरज भाई ने लिखा तो मुझे भी आपतकाल का एक किस्सा याद आ गया। मैं दस साल का था, छठी कक्षा में पढ़ता था। इतनी राजनैतिक या सामाजिक समझ तो नहीं आई थी मगर यह पता था कि सरकार ने कुछ नियंत्रण लागू किये हैं आम लोगों पर। इमरजेंसी की इतनी समझ थी कि…

  • कैसे कैसे भगवान

    कैसे कैसे भगवान

    अभी कुछ वर्ष पहले जब कन्नड़ अभिनेता राजकुमार का वीरअप्पन ने अपहरण कर लिया था तो उनके किसी भक्त ने हिम्मत न दिखाई? अरे जंगल में जा कर भिड़ जाते वीरअप्पन से। अब मर गए तो बंद पड़ी दुकानों को जला रहे हैं, ऐसी तो थोथि आस्थाएं हैं हमारी। ऐसे बहुत से पात्र हमें मिल…