मुन्नाभाई अमेरिका में

(नीरज भाई तथा अनूप भाई की फरमाईश पर एक बार फिर पेश है मुन्ना सरकिट संवाद। जैसा कि आप सब को मालूम होगा कि मुन्नाभाई सिरीज की तीसरी फिल्म ‘मुन्नाभाई अमेरिका में’ बनने वाली है। आजकल इसकी स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। हमने अपने सूत्रों से इस स्क्रिप्ट की एक ओरिजनल कापी का जुगाड़ कर लिया है- पेश है आपके लिये इसी का एक हिस्सा)

“याहू ! चाहे कोई मुझे जंगली कहे………!”
“अरे मुन्नाभाई, बड़े खुश लग रहे हॊ, क्या बात है?”
“अरे सरकिट कुछ मत पूछ आज अपुन भोत खुश है”
“क्या बात है भाई? इस बार इंडीब्लागीस में तुम्हारा चिट्ठा आ रहा है क्या?”
“अरे उसका तो अभी चुनाव भी शुरु नईं हुआ, अपुन तो खुश हैं कि याहू ने हिंदी का पोर्टल शुरू कर दिया।”

“पर भाई, अपन सुना कि कोई धुरविरोधी साहब बोला कि हिंदी को याहू की क्या जरूरत? वो बोला कि “हिन्दी की वेबसाइटें कम नहीं हैं” और बोला कि “याहू में कौन से फुंदने टंके हैं”
“अरे सरकिट, याहू के पास इंडिया मेंइच ढाई करोड़ खाते हैं, याहू और गुगल जैसी कम्पनियां अगर इतना बड़ा प्लेटफारम हिंदी चिट्ठाकारों को परदान करतीं है तो अपुन लोगों को निरमल आनंद तो होंयेंगाइ ना। अपन तो खुश हैं कि अब हिंदी जानने वाले और लोग भी हमारे साथ जुड़ेंगे और इंटेरनेट पर हिंदी लिखने और पढ़ने वाले राकेट की माफिक बढ़ेंगे।”
“पर भाई तुम इतना खुश कयेकु हो रिया है।”

“अरे सरकिट तरकश और इंडीब्लागीस की तरह क्या पता याहू भी अच्छे चिट्ठाकार की प्रतियोगिता रख दे और इनाम में हमें अमेरीका की सैर करवा दे । अपुन उदर जाके मिस्टर खुश को गांधीगिरी सिखायेंगा।”

“पर भाई, यह धुरविरोधी क्या नाम हुआ? कुछ भी अच्छा होता है ना भाई, कुछ लोग विरोध करने आ जाते हैं।”

“सुन सरकिट, अपुन के यहां लोकतंतर है और विरोध लोकतंतर का भोत जरूरी हिस्सा है, बिना विरोध के सत्ता निरंकुश हो जाती है।”

“क्या बोला भाई? मिस्टर सत्ताम और मिस्टर खुश में क्या हो जाती है?”

“अरे सरकिट तुम आज सुबह सुबह ही पी लिये हो क्या? अपुन कह रहा है कि सत्ता निरंकुश हो जाती है और तुम सुन रहा है कि मिस्टर सत्ताम और मिस्टर खुश में कुछ हो जाती है।”

“भाई तुम भी तो संसकरित में बात कर रेला है, अपुन तो एक ही सत्ता मालूम है जो ताश का पत्ता होता है – पंजा, छक्का, सत्ता, ये तुम कौन सी सत्ता की बात कर रेला है?

“अरे सरकिट तुम अनजानें में ही बहुत बड़ी बात बोल दिया। आजकल अपुन के यहां यहिच हो रिया है, जो सत्ता दूसरों की मेहरबानी से मिलती है ना भाई, वो पंजा छक्का सत्ता बन केईच रह जाती है।”

“पर भाई, तुम अपुन को समझाओ कि सत्ता क्या होती है?

“अरे सरकिट, सत्ता का मतलब होता है ताकत, ताकत चाहे आदमी में हो, सरकार में हो या किसी कंपनी में, यदि विरोध न हो तो निरंकुश हो जाती है। ”

“भाई फिर यह ताकत मिस्टर खुश, मेरा मतलब है निरंकुश कैसे हो जाती है?”

“जब भी विरोध की ताकत कमजोर हो जाती है, सत्ता निरंकुश हो जाती है जैसे घोड़ा बेलगाम हो जाता है तो किसी भी पार्क या गुलिस्तान को उजाड़ सकता है।”

“क्या बोला भाई इराक और अफ्गानिस्तान को उजाड़ सकता है?”

“इसी लिये तो बापू बोला कि ताकत वाले का विरोध होना चाहिये और जो सबसे कमजोर हो हमें उसके साथ खड़े होना चाहिये, हमेशाईच ! बस इतनी सी बात जाके मिस्टर खुश को समझानी है।”

 


Comments

9 responses to “मुन्नाभाई अमेरिका में”

  1. बहुत सटीक व्यंग्य है, जगदीश भाई. मजा आ गया. लगे रहो, मुन्ना भाई. :)

  2. जीतू Avatar
    जीतू

    वाह! वाह! जगदीश भाई,
    मजा आ गया।
    ये मुन्ना सरकिट तो बातों बातों ने काफी बड़ी बड़ी बातें कह जाते है।

    लगे रहो मुन्ना भाई।

  3. बस सिर्फ इतना कहना है “लगे रहो मुन्ना भाई”
    मगर ये मुन्ना और सरकिट दोनों बातों बातों मे बहुत सी राज़ वाली बातें भी उगल देते हैं :)

  4. समीर लाल Avatar
    समीर लाल

    इंडीब्लॉगीज, 2006 में नामांकन हेतु बधाई और हार्दिक शुभकामनायें. :)

  5. अनूप शुक्ला Avatar
    अनूप शुक्ला

    वाह, देखिये अब इधर आपने मुन्ना-सर्किट संवाद लिखा उधर इंडीब्लागीस में आपका नाम आ गया! बधाई! ऐसे ही लिखते रहें समय-समय पर समय निकाल कर!

  6. dhurvirodhi Avatar
    dhurvirodhi

    वाह भाई… क्या फेन्टास्टिक आर्टिकल लिखेला है! एकदम रप्चिक! अपुन को तुमेरा बात एकदम सही लगा भाई. अगर कोइ बीच में आके टंगड़ी नहीं लगाये तो ये कम्पनी लोग पब्लिक का खुनिच चूस ले. एकदम फर्स्ट क्लास आइडिया है भाइ!

  7. आईना इंडीब्लागीस गीता « Avatar
    आईना इंडीब्लागीस गीता «

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  8. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

  9. सरकिट का भी चिट्ठा « आईना Avatar
    सरकिट का भी चिट्ठा « आईना

    […] मुन्नाभाई अमेरिका में […]

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