15 वर्षों के आर्थिक सुधार- कितने मोबाईल

बिजनेस टुडे पत्रिका के ताजा अंक में 15 वर्षों के आर्थिक सुधारों पर विशेष सामग्री दी गई है। आर्थिक सुधारों का विस्तार से अध्ययन किया गया है तथा इसके सामाजिक असर को भी बखूबी उठाया गया है। संभाल कर रखने लायक 282 पेज का यह अंक 15 रु का है।

बिजनेस टुडे के इसी अंक से चुन कर कुछ मजेदार आंकड़े यहां दे रहा हूं:

इन 15 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय 9193 रु से बढ़ कर 15357 रु हो गयी।
जीडीपी में कृषी का हिस्सा 28.52% से घट कर 17 % रह गया।

निर्यात 17856 मिलियन डालर से बढ़ कर 102725 मिलियन डालर हुआ।
जीडीपी विकास दर 1.3 % से बढ़ कर 8.4 % हुई।

विदेशी मुद्रा कोष 1.1 बिलियन डालर से बढ़ कर 156 बिलियन डालर हुआ
गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों का प्रतिशत 38 % से घट कर 22 % हुआ।
मुद्रास्फीति 16.9% से घट कर 5.3% हुई।

Share Bazar पूंजी 90800 करोड़ रु से बढ़ कर 35,00,000 करोड़ रु हुई।
विदेशी निवेश FDI 133 मिलियन डालर से बढ़ कर 20243 मिलियन डालर हुई।
आईटी एक्सपोर्ट 250 करोड़ रु से बढ़ कर 105300 करोड़ रु हुआ।

देश में इस समय प्रति 1000 आबादी पर 18 कम्यूटर हैं।
देश में इस समय (अक्तूबर 2006 तक) 13.6 करोड़ मोबाईल, 11.2 करोड़ टीवी, 3.7 करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ता, 6.8 करोड़ केबल कनेक्शन हैं।
देश में इस साल अप्रेल से नवंबर तक 53 लाख दोपहिया तथा 4.6 लाख कारें बिकीं।

इतने अच्छे अच्छे आंकड़े देख कर हो सकता है कि आप की आंखें खुशी से चमक उठी हों मगर यह केवल एक तरफ की सच्चाई है।

कल इस लेख के दूसरे भाग ’15 वर्षों के आर्थिक सुधार- कितनों को साफ पानी’ में लिखूंगा सामाजिक सच्चाईयां तथा किसानों एवम गरीबों का हाल। कितने लोग साफ पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा शिक्षा से अभी भी वंचित हैं क्योंकि इतना कुछ होने के बावजूद देश में 35 % लोग केवल 45 रु प्रति दिन की कमाई पर जीते हैं तथा अन्य 45 % केवल 45 रु से 90 रु की दिहाड़ी पर।

अपने बच्चे को जब हम पचास रु जेब खर्च देते हैं तो क्या कभी इस बात के लिये सोचते हैं?

मिलियन = 10 लाख
बिलियन = 100 करोड़ = एक अरब
डालर = लगभग 45 रु


Comments

8 responses to “15 वर्षों के आर्थिक सुधार- कितने मोबाईल”

  1. tasvir to bilkul saaf ki hai aapne lekin bharat kranti ki raah par nahi baran badlao ke path par hai aur nischit hi woh waqt aayega jaab kaafi kuch aasan ho jaayega.good essay.

    aapke pahale bale lekh me maine sahi hi kaha tha manobhavna to aapki hi thi jo bahut hi sundar sabdo se rachi gayi.Thnx.

  2. संजय बेंगाणी Avatar
    संजय बेंगाणी

    जो आज भी खराब है, वो पहले भी खराब था. मगर जो अच्छा हो रहा है, वह पहले ऐसा नहीं था. यानी जो हुआ वह अच्छा ही हुआ है, हाँ इस अच्छे का दायरा बढ़ने में समय तो लगेगा ही.
    क्या आर्थिक सुधार लागु नहीं किये जाते तो अब तक सभी को स्वच्छ पानी और रोजगर मिल जाता? अगर नहीं तो हम सही जा रहे है.

  3. सागर चन्द नाहर Avatar
    सागर चन्द नाहर

    बहुत ही लुभावने अंक (फ़िगर) है, पर वास्तविकता से कोसों दूर! अमीर आदमी ओर ज्यादा अमीर और गरीब ज्यादा गरीब होता जा रहा है। मध्यम वर्ग में अलग अलग भी श्रेणियाँ बन गयी है, जैसे उच्च मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यम वर्गीय ।

  4. अनुराग श्रीवास्तव Avatar
    अनुराग श्रीवास्तव

    इस मामले मेँ बहुत कनफ्यूज़ हूं, आपने जो बातेँ लिखीँ उनको पढ कर उभरते हुये भारत पर खुशी होती है, जब गरीबी का आलम देखता हूँ तो लगता है कि इनके लिये तो सब कुछ वैसा ही है.
    जब टूटी सड़क पर खड़ा होकर भव्य मॉल देखता हूँ तो तरक्की दिखती है, और जब उसी मॉल के भीतर खड़ा हिकर टूटी सडक़ पर भीख माँगते दुधमुंहे बच्चे देखता हूँ तो वही ढाक के तीन पात.
    इस बात की खुशी है कि तरक्की हो रही है और इस बात की आशा कि यह तरक्की एक दिन समाज के हर वर्ग तक पंहुचे.
    सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भवंतु निरामयः

  5. rakesh jain Avatar
    rakesh jain

    hindi me economix par itni sargarbhit samgri to doonde bhi nahi milti . mera sabhi lkhko pathko ko sujhav he ki vo kisi bhi padhi gee ya pasand ki gee pustak or lakh k vichro ko blog k roop me jaroor likhe . isse baki log jinka jyada intrest nahi he un vichro or gyan ka labh le payenge . home p c hone k bavjood me hindi me nahi likh pa raha hoon .pargti ko aajma kar dekhta hoon

  6. rokybaranupsc Avatar
    rokybaranupsc

    नमस्कार बहूत अच्हा लिख हे आप्ने मे

  7. rohittripathi60 Avatar
    rohittripathi60

    बहुत ही अच्छा लिखा आपने। यह देख कर गर्व होता है अपने देश पर, और हां जो लोग कहते हैं कि भारत मैं लाख बुराइयां हैं तो उन्हे कहने दो क्योंकि बाप अगर शराब पीता है तो बच्चे उसे छोड़ तो नहीं देते ना, बल्कि उसकी आदत छुड़वाने की कोशिश करते हैं।

  8. यह भी है हमारा भारत « आईना Avatar
    यह भी है हमारा भारत « आईना

    […] लेख का पहला भाग 15 वर्षों के आर्थिक सुधार- कितने मोबाईल Filed under: देश, अर्थव्यवथा, हिंदी, समाज, Hindi, […]

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