एक अदद भगवान की जरूरत है

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हमारा समाज नित नए भगवान गढ़ता रहता है. हमारे यहां सब से ज्यादा देवी देवता हैं. हमारे देश में सांप से लेकर नदियों तक और सूरज से लेकर अमिताभ बच्चन तक की पूजा होती है. फिर भी हम नये नये भगवान बनाने की कोशिश करते रहते हैं. “क्रिकेट हमारा धर्म है और सचिन हमारा भगवान” का उद्घोष करने वाला हमारा समाज क्यों नये नये हीरो बनाता है, उनकी अंधी भक्ती करता है फिर भूल जाता है कि वे भी एक इन्सान हैं एकदम हमारे माफिक. और फिर वही सचिन ज़रा आऊट आफ फारम हुआ कि उसे हूट करने लगते हैं.

क्या चाहते हैं हम? किसे खोज रहे हैं? क्या ऐसा तो नहीं है कि हमारे मनों में एक कमतरी का एहसास है और हम हमेशा यही सोचते हैं कि कभी कोई दूसरा आएगा और सूपरमैन की तरह हमारे दुख तकलीफों को दूर करेगा.

क्यों हम भीतर से शबरी और भीलनी बने किसी राम का इन्तजार करते रहते हैं? क्या इसी मानसिकता के कारण हमने अंग्रेजों को अपना माईबाप बना लिया था?

आज का समाचार पत्र मेरे सामने पड़ा है और मुख पृष्ठ पर धोनी छाए हुए हैं, लीजिए एक और भगवान बनने को है. कल से ये बताएंगे हमें कौन से साबुन से नहाना चाहिए या कौनसे टूथपेस्ट, शैंम्पू या कपड़े इस्तेमाल करने चाहियें.

फिर हम अपने भगवानों के लिए मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं. रामदेव को वृंदा करात ने कुछ कह दिया तो हर शहर में वृंदा करात के पुतले जलाए गये. दक्षिण में राजकुमार मर गए तो शहर में दंगा हो गया. आस्था में अंधे होकर हम तर्क वितर्क भी भूल जाते हैं.

अगली बार लिखुंगा : कैसे कैसे भगवान और कैसी कैसी आस्थाएं


Comments

One response to “एक अदद भगवान की जरूरत है”

  1. Hitendra Avatar
    Hitendra

    बैंगलोर की घटना ने मुझे भी आहत किया।
    सहनशीलता कहाँ गयी?